बिहारीलाल भट्ट वाक्य
उच्चारण: [ bihaarilaal bhett ]
उदाहरण वाक्य
- बिहारीलाल भट्ट का जन्म आश्विनश् शुक्ला विजयदशमी, सं.
- बेनी प्रवीन [26] ने ‘नवसतरंग' में ‘थाई जासु बिराग' लिखकर विराग को और ‘साहित्यसागर' के रचयिता बिहारीलाल भट्ट ने ‘शान्ती स्थायी भाव है'
- नायिकाभेद के क्षेत्र में आधुनिक काल में हरिऔध (“रसकलस”, 1931 ई.), बिहारीलाल भट्ट (“साहित्यसागर”, 1937 ई.) तथा प्रभुदयाल मीतल ने (“ब्रजभाषा साहित्य का नायिकाभेद”, 1948 ई.) उल्लेखनीय कार्य किया है।
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- बेनी प्रवीन [26] ने ‘ नवसतरंग ' में ‘ थाई जासु बिराग ' लिखकर विराग को और ‘ साहित्यसागर ' के रचयिता बिहारीलाल भट्ट ने ‘ शान्ती स्थायी भाव है ' लिखकर शान्ति को शान्त रस का स्थायी माना है।
- उनके “रसकलश” में इन भेदों का प्रथम बार विभाजन किया गया है, जो इस प्रकार है-(1) उत्तमा: पतिप्रेमिका, परिवारप्रेमिका, देशप्रेमिका, जन्मभूमिप्रेमिका, निजतानुरागिनी, लोकसेविका, धर्मप्रेमिका; मध्यमा: व्यंग्याविदग्धा, मर्मपीड़िताफ बिहारीलाल भट्ट ने परिस्थितिभेदों के संबंध में कुमारमणि शास्त्री की मान्यताएँ प्राय: स्वीकार कर ली हैं।
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